Priyanka Verma

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लेखनी कविता - अधूरा साथ


                     अधूरा साथ


क्यों तुम मेरे ना हुए,
बार बार समझाते हैं दिल को अपने,
क्यों तुमने एक पल में ही तोड़ दिए,
साथ जो हमने देखे थे सपने,

पुकारता है तुम्हें ही ये दिल,
ना जाने क्यों  बार,
जबकि जानता है ये भी,
कि अब ना आओगे हमारे द्वार।।


प्रियंका वर्मा
8/5/22

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4 Comments

Fareha Sameen

09-May-2022 02:41 PM

Nice

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Sachin dev

09-May-2022 10:19 AM

Very nice

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Renu

09-May-2022 12:32 AM

👍👍

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